Najibabad: नजीबाबाद में बज़्म ए जिगर नजीबाबाद की जानिब से हुआ देहली से मेहमान शायर शहादत अली निजा़मी के एजा़ज़ में महफिल ए मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें बिजनौर के शायर मन्नान बिजनौरी का मजमुए ए कलाम “शाख ए ज़बूर ” शायरो को पेश किया गया।नजीबाबाद के मौहल्ला नवाबपुरा में शायर शादाब ज़फ़र शादाब के आवास पर देहली से तशरीफ लाये मेहमान शायर शहादत अली निजा़मी के एजा़ज़ में बज़्म ए जिगर नजीबाबाद की जानिब से एक खूबसूरत महफिल ए मुशायरे का आयोजन किया गया। जिस में शायरो ने उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की। इस मौके पर बिजनौर के शायर मन्नान बिजनौरी का मजमुए ए कलाम “शाख ए ज़बूर ” शायरो को पेश किया गया। महफिल ए मुशायरे का आगा़ज़ डाक्टर तैय्यब जमाल ने अपनी खूबसूरत नात ए रसूल ए पाक से कुछ यूं किया…. आपका जो गुलाम होता है, इस जहाँ में इमाम होता है। सूफीयान मुल्तानी ने ग़ज़ल के दौर का आगा़ज़ करते हुए कहा…..रब के इस खजा़ने में और भी करिश्मे है, सिर्फ इस समंदर में मछलियाँ नही होती। मेजबान शायर शादाब ज़फ़र शादाब ने ग़ज़ल पेश करते हुए कहा,…..भीख मांग के मां फाके से मर जाये, पर जन्नत की सब को चाहत होती है। डाक्टर तैय्यब जमाल ने कहा……दिल का फसाना सब को सुनाऊ ये बच्चो का खेल नही, उस की मौहब्बत रश्क ए इबादत सिर्फ दिलो का मेल नही। मौसूफ अहमद वासिफ ने कहा….. पानी पे घर बना के बहुत सोचना पडा, इक बार मुस्कुरा के बहुत सोचना पडा। देहली से आये मेहमान शायर शहादत अली निजा़मी ने कहा….. छुपाऊ में गरीबी को कहा तक, ज़रा बारिश हो छत भी बोलती है। मुशायरे की सदारत कर रहे डाक्टर रईस अहमद भारती ने कहा…. ऐ रईस आज के हालात पर रखनी है नज़र, भोली सूरत से बहुत आस लगा रखी है। मुशायरे में अदीब शादाब, असद एडवोकेट, कामरान नजमी, हुमाम नजमी, अबुज़र, शमीम, अब्दुल अली आदि लोग मौजूद रहे। इस मौके पर बिजनौर के मशहूर शायर मन्नान बिजनौरी का मजमुए ए कलाम “शाख ए ज़बूर ” शायरो को पेश किया गया। मुशायरे की सदारत डाक्टर रईस अहमद भारती ने की व निजामत शायर शादाब ज़फ़र शादाब ने की।