बिजनौर में दरगाहे आलिया हज़रत फातेमा जैहरा पर सालाना मजालिसों को कई मौलानाओ ने किताब किया

Bijnor: ( नौरोज़ हैदर शाही ): बिजनौर हल्दौर क्षेत्र में दरगाहे आलिया हज़रत फातेमा जैहरा पर आयोजित होने वाली तीन दिवसीय सालाना मजालिसों के तीसरे और अंतिम दिन का आगाज़ मौलाना मैहदी अब्बास ज़ैदी व मौलाना मिक़दाद हुसैन रसूलपुरी द्वारा तिलावते कलामे पाक से हुआ। जनपद बिजनौर के हल्दौर क्षेत्र के गांव छजुपुरा सादात में आयोजित होने वाली तीन दिवसीय मजलिसों में तीसरे और अंतिम दिन की मजलिसों को क्रमशः मौलाना क़मर सुल्तान, मौलाना अली असग़र हैदरी, मौलाना जावेद आबिदी मौलाना अज़ादार हुसैन, मौलाना कल्बे रुशैद रिज़वी ने ख़िताब किया । मौलाना क़मर सुल्तान ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि रसूले खुदा का इरशाद है कि मुसलमान वो है कि जिसके हाथ व जुबान से किसी भी इंसान को किसी प्रकार का दुख ना पहुंचे । मुसलमान नाम है आपसी भाईचारे, सौहार्द और प्रेम को बढ़ावा देने वाले का । इस्लाम सदा भाईचारे और सौहार्द व प्रेम का प्रतीक रहा है । कुछ नाम निहाद मुसलमानों की वजह से आज आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा जा रहा है । मौलाना ने कहा कि इस्लाम की मिसाल सन 61 हिजरी को नवासा ए रसूल हजरत इमाम हुसैन अ.स. ने मैदाने कर्बला में पेश की । इमाम हुसैन ने इस्लाम और इंसानियत को बचाने के लिए कर्बला की जंग में अपनी और अपने परिवार के 71 साथियों की कुर्बानी देकर इस्लाम को कयामत तक के लिए बचा लिया।

मजलिस के बाद जुलूस व शबीहे जुल्जनाह शबीहे अलम और शबीहे ताबूत बरामद किया गया

मजलिस के बाद जुलूस बरामद किया गया जिसमें शबीहे जुल्जनाह शबीहे अलम और शबीहे ताबूत बरामद किया गया जिसमें यासिर ज़ैदी,सादिक़ रज़ा,मौलाना मिक़दाद हुसैन,सालिम ज़ैदी , फ़िरोज़ मैहदी ज़ैदी आदि ने नोहा ख़ानी की साथ ही ईरान के शहर क़ुम से आये हुए शहज़ादी मासूमा ए क़ुम के रोज़े के परचम की ज़ियारत भी कराई गई। मजलिसों में मर्सियाखानी मौहम्मद रज़ा, मौहम्मद अब्बास, नायाब हैदर, रईस हैदर, मौहम्मद आलम, रौशन अब्बास, सालिम जैदी, आदि ने की तथा पेश खानी मौलाना अली रज़ा तक़वी, मौलाना मैहदी अब्बास ज़ैदी, मौलाना मिक़दाद हुसैन रसूलपुरी,मौलाना कल्बे अब्बास नक़वी, मौलवी मौहम्मद जौन, आदि ने की। कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना अली रज़ा तक़वी ने तथा संचालन मौलाना अहमद रज़ा, मौलाना रौशन अब्बास तथा मीडिया प्रभारी शाही वास्ती ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कल्बे हैदर,कौसर अब्बास, मौहम्मद आसिफ आशु,शादाब जैदी, गुलाम पन्जेतन,रियाज़ुल हसन, राहिब जैदी, जाफ़र ज़ैदी, कमाल ज़ैदी, शौज़ब जैदी, अली अब्बास आदि का विशेष सहयोग रहा है।

Leave a Comment