Najibabad: ( नसीम उस्मानी ): बज़्म ए सुखन जलालाबाद की ओर से बीती रात मशहूर कव्वाल सरफराज़ अहमद साबरी के आवास पर महफिल ए मुशायरे में शायरो ने खूबसूरत कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की। बीती रात निकट जामा मस्जिद जलालाबाद में एक महफिल ए मुशायरे का आयोजन शायर और कव्वाल सरफराज़ अहमद साबरी के आवास पर हुआ। मुशायरे के मुख्य अतिथि अरोमा इत्र एण्ड परफ्यूम के एमडी सूफीयान मुल्तानी ने कहा की शेरी एक खूबसूरत फन है। शायरी में शायर जहाँ महबूब की जुल्फ और रूखसार की बात करता है वही समाज में फैली बुराईयो पर भी उस कलम चलती है। शायरी ने आजादी की लडाई में अपनी अहम भूमिका निभाई। महफिल ए मुशायरे का आगाज मेजबान सरफराज़ साबरी ने नात ए रसूल ए पाक से करते हुए कहा ….दर ए रसूल के खादिम है जिब्राईल ए अमीन, समझ सकेगा भला क्या कोई मकाम ए रसूल। गज़ल के दौर का आगाज असद अली ने करते हुए ग़ज़ल पेश की….खुद को ज्यादा समझदार समझ बैठे हैं, मुस्कराहट को मेरी प्यार समझ बैठे है। कारी उसमान साहिल ने कहा….अब किसी से कोई गिला ही नहीं, हमने चाहा जिसे मिला ही नहीं। हाजी बहार आलम बहार ने कहा….क्या जमाना है इस जमाने में, जिंदगी कट गई कमाने में। शकील अहमद वफ़ा ने कहा .. वक़्त हाथो से जब यार निकल जायेगा, अपना साया भी उस रोज़ बदल जायेगा।
काजी विकाऊल हक जलालावादी ने कहा… कातिल तो है लेकिन मुझे अच्छा सा लगे है, वो शोख सितमगर मुझे अपना सा लगे है। सय्यद अहमद ने कहा…. उसे भी पड गया इक दिन हमारे नाम से काम, तमाम उम्र जो रखता था अपने काम से काम। आसिफ मिर्ज़ा ने कहा…. बस यही उम्र-ए-गुज़िश्ता की तलाफ़ी होगी वस्ल क्या वस्ल की इक सोच ही काफ़ी होगी। मेजबान शायर सरफराज़ अहमद “फराज़” साबरी ने कहा .. ख्वाब ए गफलत में है सोने दो इन्हे मत छेडो, ये अगर हो गये बेदार तो फिर तुम जानो। शादाब ज़फ़र शादाब ने कहा.. दिल में हम जो भी ठान लेते हैं, लोग दुनियां के मान लेते हैं। अकरम जलालावादी ने कहा….आज एक नग़मा मौहब्बत का सुनाऊ मैं भी, इश्क़ क्या शह है जमाने को बताऊ मैं भी। मौसूफ अहमद वासिफ… लहू लुहान उजाले लिए सहर आई, ना जाने कितने सितारो को कत्ल कर आई। डाक्टर रईस अहमद भारती ने कहा…. दरिया दरिया, जंगल जंगल, सहरा सहरा छाने है, इतना कहलाने की खातिर हम तेरे दिवाने है। महफिल ए मुशायरे में एमडी खान,अबरार सलमानी, रजाक सलामनी,शाहनवाज़ साबरी, अनवर साबरी, मास्टर अफजाल, अब्बास राईन, मौहम्मद आलम मंसूरी, अता हुसैन, खालिद साबरी, मौहम्मद दिलशाद टेलर,तारिक अहमद, शहरयार अली, शादान अली, मौहम्मद फैज, आरिज़ आदि लोग मौजूद रहे। महफिल ए मुशायरे की सदारत डाक्टर रईस अहमद भारती ने की व निजा़मत शादाब ज़फ़र ने की।